“न्याय की तलाश में गिरीश पांडे, पुलिस पर उठ रहे सवाल — CCTV फुटेज में कांग्रेस नेता, फिर भी FIR में नाम नहीं!”

बिलासपुर, 22 मई 2025 | संवाददाता — न्यूज़ वाटर
बिलासपुर के निराला नगर निवासी गिरीश पांडे पिछले एक साल से अपने साथ हुई चोरी और तोड़फोड़ की घटना को लेकर न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि साफ सबूत और गवाहों के बावजूद पुलिस ने अब तक मुख्य आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
क्या है मामला?
7 जनवरी 2024 को गिरीश पांडे के घर में चोरी और तोड़फोड़ की घटना हुई। उन्होंने उसी दिन रिपोर्ट दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में चार दिन की देरी की और सिर्फ “अज्ञात चोरों” के खिलाफ मामला दर्ज किया।
जब पुलिस बनी मूकदर्शक, पीड़ित ने खुद जुटाए सबूत
पुलिस की निष्क्रियता से परेशान होकर गिरीश ने खुद ही सबूत जुटाने शुरू किए। पास के एक होटल की CCTV फुटेज में साफ तौर पर कांग्रेस नेता श्याम कश्यप और उनके सहयोगी शिरीष कश्यप को वारदात को अंजाम देते हुए देखा गया। इसके अलावा उन्होंने चार चश्मदीद गवाह भी प्रस्तुत किए, लेकिन पुलिस ने केवल दो के बयान लिए।
राजनीतिक रसूख या पुलिस की लापरवाही?
गिरीश पांडे का आरोप है कि श्याम कश्यप को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, और इसी वजह से पुलिस उन्हें बचा रही है। उन्होंने कहा, “जिनके नाम वीडियो में हैं, वही FIR से बाहर हैं — यह कैसी जांच है?”
प्रशासन से लेकर कोर्ट तक की दौड़
गिरीश पांडे इस मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक, IG और कलेक्टर तक कर चुके हैं। बावजूद इसके कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। गवाहों पर दबाव डाले जाने की शिकायतें भी सामने आई हैं। अब उन्होंने कोर्ट का रुख किया है। उनका कहना है, “अगर पुलिस न्याय नहीं दे सकती, तो अदालत ही आखिरी आसरा है।”
क्या कहती है पुलिस?
इस मामले में तारबाहर थाना पुलिस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
यह मामला न केवल एक आपराधिक वारदात का है, बल्कि इसमें राजनीतिक दखल, पुलिस की निष्क्रियता और पीड़ित के अधिकारों के हनन का गहरा सवाल छिपा है। अब देखना यह है कि न्यायपालिका इस मामले को किस तरह लेती है।
