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    *महर्षि विश्वविद्यालय में भारी अनियमितताओं का खुलासा एनएसयूआई ने CGPURC की निरीक्षण समिति को सौंपा 10 पन्नों का विस्तृत ज्ञापन*

    *महर्षि विश्वविद्यालय में भारी अनियमितताओं का खुलासा एनएसयूआई ने CGPURC की निरीक्षण समिति को सौंपा 10 पन्नों का विस्तृत ज्ञापन*

    बिलासपुर।

    महर्षि विश्वविद्यालय, बिलासपुर में वर्षों से चली आ रही शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ एनएसयूआई ने बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग (CGPURC) की निरीक्षण समिति के विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचने पर एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह के नेतृत्व में छात्र प्रतिनिधिमंडल ने 14 बिंदुओं पर आधारित 10 पृष्ठों का विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए गंभीर आरोप लगाए।

     

    निरीक्षण समिति में डॉ. एम.एस.के. खोखर (अध्यक्ष), प्रो. संतोष कुमार गुप्ता (सदस्य–प्रशासनिक) एवं डॉ. बी.एल. गोयल (सदस्य) शामिल रहे। एनएसयूआई ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा नियमों की खुलेआम अनदेखी करते हुए छात्रों के भविष्य से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है।

     

    ज्ञापन में उठाए गए प्रमुख मुद्दे

     

    एनएसयूआई द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि डीएलएड पाठ्यक्रम में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं, जहां एक ही व्यक्ति द्वारा महर्षि विश्वविद्यालय एवं महर्षि शिक्षा संस्थान (शिक्षा विभाग) के डीएलएड छात्रों की अंकसूचियों पर प्राचार्य की मुहर और हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा डीएलएड सहित कई पाठ्यक्रमों का संचालन बिना विधिवत शुल्क निर्धारण एवं निर्धारित मानकों के किया जा रहा है।

     

    ज्ञापन में कुलसचिव नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए पारदर्शिता की कमी, योग्यता एवं अनुभव की अनदेखी का आरोप लगाया गया। एनएसयूआई ने निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम 2005 की धारा 41(1) के तहत विश्वविद्यालय अथवा संबंधित संस्थान को बंद करने की अनुशंसा लागू करने की मांग की है।

     

    इसके साथ ही जांच में सहयोग न करने और भारी अनियमितताओं के चलते छात्रवृत्ति पर तत्काल रोक, सेंटरों के माध्यम से वित्तीय अनियमितताओं, यूजीसी द्वारा डिफॉल्टर घोषित किए जाने, खुलेआम नकल, पीएचडी पाठ्यक्रम में फर्जीवाड़े, एक ही भूमि-भवन में दो संस्थानों के संचालन तथा फर्जी प्राध्यापकों की सूची प्रस्तुत कर विश्वविद्यालय के संचालन पर गंभीर सवाल खड़े किए गए।

     

    पुलिस तैनाती से बढ़ी मामले की गंभीरता

     

    निरीक्षण के दौरान विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस बल की तैनाती की गई, जिससे पूरे मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता स्पष्ट रूप से सामने आई। निरीक्षण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों ने एनएसयूआई प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि प्रस्तुत सभी बिंदुओं की निष्पक्ष जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

     

    एनएसयूआई का दो टूक संदेश

     

    इस अवसर पर जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने कहा कि यह मामला केवल नियमों के उल्लंघन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य पर सीधा हमला है। जब तक दोषियों पर ठोस और निर्णायक कार्रवाई नहीं होती, एनएसयूआई का संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जल्द ही सभी प्रमाणिक दस्तावेजों के साथ कलेक्टर बिलासपुर को ज्ञापन सौंपकर स्वतंत्र जांच की मांग की जाएगी।

     

    कार्यक्रम में प्रदेश सचिव लोकेश नायक, युवा कांग्रेस महासचिव बिट्टू साहू, महासचिव चंद्रप्रकाश साहू सहित बड़ी संख्या में एनएसयूआई पदाधिकारी, कार्यकर्ता एवं छात्र उपस्थित रहे।

    एनएसयूआई ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।

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    *महर्षि विश्वविद्यालय में भारी अनियमितताओं का खुलासा एनएसयूआई ने CGPURC की निरीक्षण समिति को सौंपा 10 पन्नों का विस्तृत ज्ञापन* बिलासपुर। महर्षि विश्वविद्यालय, बिलासपुर में वर्षों से चली आ रही शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ एनएसयूआई ने बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग (CGPURC) की निरीक्षण समिति के विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचने पर एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह के नेतृत्व में छात्र प्रतिनिधिमंडल ने 14 बिंदुओं पर आधारित 10 पृष्ठों का विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए गंभीर आरोप लगाए।   निरीक्षण समिति में डॉ. एम.एस.के. खोखर (अध्यक्ष), प्रो. संतोष कुमार गुप्ता (सदस्य–प्रशासनिक) एवं डॉ. बी.एल. गोयल (सदस्य) शामिल रहे। एनएसयूआई ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा नियमों की खुलेआम अनदेखी करते हुए छात्रों के भविष्य से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है।   ज्ञापन में उठाए गए प्रमुख मुद्दे   एनएसयूआई द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि डीएलएड पाठ्यक्रम में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं, जहां एक ही व्यक्ति द्वारा महर्षि विश्वविद्यालय एवं महर्षि शिक्षा संस्थान (शिक्षा विभाग) के डीएलएड छात्रों की अंकसूचियों पर प्राचार्य की मुहर और हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा डीएलएड सहित कई पाठ्यक्रमों का संचालन बिना विधिवत शुल्क निर्धारण एवं निर्धारित मानकों के किया जा रहा है।   ज्ञापन में कुलसचिव नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए पारदर्शिता की कमी, योग्यता एवं अनुभव की अनदेखी का आरोप लगाया गया। एनएसयूआई ने निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम 2005 की धारा 41(1) के तहत विश्वविद्यालय अथवा संबंधित संस्थान को बंद करने की अनुशंसा लागू करने की मांग की है।   इसके साथ ही जांच में सहयोग न करने और भारी अनियमितताओं के चलते छात्रवृत्ति पर तत्काल रोक, सेंटरों के माध्यम से वित्तीय अनियमितताओं, यूजीसी द्वारा डिफॉल्टर घोषित किए जाने, खुलेआम नकल, पीएचडी पाठ्यक्रम में फर्जीवाड़े, एक ही भूमि-भवन में दो संस्थानों के संचालन तथा फर्जी प्राध्यापकों की सूची प्रस्तुत कर विश्वविद्यालय के संचालन पर गंभीर सवाल खड़े किए गए।   पुलिस तैनाती से बढ़ी मामले की गंभीरता   निरीक्षण के दौरान विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस बल की तैनाती की गई, जिससे पूरे मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता स्पष्ट रूप से सामने आई। निरीक्षण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों ने एनएसयूआई प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि प्रस्तुत सभी बिंदुओं की निष्पक्ष जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।   एनएसयूआई का दो टूक संदेश   इस अवसर पर जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने कहा कि यह मामला केवल नियमों के उल्लंघन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य पर सीधा हमला है। जब तक दोषियों पर ठोस और निर्णायक कार्रवाई नहीं होती, एनएसयूआई का संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जल्द ही सभी प्रमाणिक दस्तावेजों के साथ कलेक्टर बिलासपुर को ज्ञापन सौंपकर स्वतंत्र जांच की मांग की जाएगी।   कार्यक्रम में प्रदेश सचिव लोकेश नायक, युवा कांग्रेस महासचिव बिट्टू साहू, महासचिव चंद्रप्रकाश साहू सहित बड़ी संख्या में एनएसयूआई पदाधिकारी, कार्यकर्ता एवं छात्र उपस्थित रहे। एनएसयूआई ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।