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    *सनातन पुनर्जागरण के पथ पर स्वामी नंदाचार्य ने लिया 51 दिव्य शिव कथाओं के आयोजन का संकल्प*

    “*सनातन पुनर्जागरण के पथ पर स्वामी नंदाचार्य ने लिया 51 दिव्य शिव कथाओं के आयोजन का संकल्प*

    बिलासपुर।

    “सनातन मार्ग ही भारत को अखंड और सशक्त राष्ट्र बना सकता है” — यह उद्घोष किया सनातन जागृति अभियान के प्रेरक स्वामी नंदाचार्य जी ने। वे न्यायधानी बिलासपुर के खमतराई रोड स्थित रामा ग्रीन सिटी के पास आयोजित हो रही संगीतमय दिव्य शिव कथा पारायण के अवसर पर संवाददाताओं से चर्चा कर रहे थे।

     

    स्वामी जी ने बताया कि सनातन संस्कृति हमारी आत्मा है — शाश्वत, चिरस्थायी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण। दुर्भाग्यवश, वर्तमान समय में लोग इसका संकुचित अर्थ लगाकर इससे दूर होते जा रहे हैं। व्रत, उपवास, यज्ञ, अनुष्ठान, शाकाहार, शोधशयन, ब्रह्ममुहूर्त जैसे जीवन मूल्यों का त्याग हो रहा है।

     

    उन्होंने कहा कि इन सभी विधानों की पृष्ठभूमि में गूढ़ वैज्ञानिकता है, जो न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा से जीवन और वातावरण को भी समृद्ध करती है।

     

    भागवत कथा, राम कथा, शिव कथा आदि भारतीय संस्कृति की प्रेरणादायी परंपराएं हैं, जो समाज में संस्कार, समरसता और अध्यात्म का संचार करती हैं।

     

    स्वामी नंदाचार्य ने यह भी बताया कि वे छत्तीसगढ़ के विभिन्न अंचलों में कुल 51 स्थानों पर दिव्य सनातन शिव कथा के आयोजन हेतु संकल्पित हैं। यह आयोजन 12 मई से 19 मई तक प्रतिदिन संध्या को हो रहा है।

     

    उन्होंने कहा कि शिव सनातन के प्रतीक हैं — शिव का अर्थ ही कल्याण है। शिव तत्व के बिना जीवन शववत् हो जाता है। सनातन के पुनर्जागरण से ही भारत को अखंड और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाया जा सकता है।

     

    कार्यक्रम के प्रारंभ में अभियान के महामंत्री आचार्य डॉ. देवधर महंत ने अभियान की रूपरेखा और स्वामी नंदाचार्य जी का परिचय प्रस्तुत करते हुए सभी सनातन अनुयायियों से इस दिव्य शिव कथा में सहभागी बनने की अपील की।

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    "*सनातन पुनर्जागरण के पथ पर स्वामी नंदाचार्य ने लिया 51 दिव्य शिव कथाओं के आयोजन का संकल्प* बिलासपुर। “सनातन मार्ग ही भारत को अखंड और सशक्त राष्ट्र बना सकता है” — यह उद्घोष किया सनातन जागृति अभियान के प्रेरक स्वामी नंदाचार्य जी ने। वे न्यायधानी बिलासपुर के खमतराई रोड स्थित रामा ग्रीन सिटी के पास आयोजित हो रही संगीतमय दिव्य शिव कथा पारायण के अवसर पर संवाददाताओं से चर्चा कर रहे थे।   स्वामी जी ने बताया कि सनातन संस्कृति हमारी आत्मा है — शाश्वत, चिरस्थायी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण। दुर्भाग्यवश, वर्तमान समय में लोग इसका संकुचित अर्थ लगाकर इससे दूर होते जा रहे हैं। व्रत, उपवास, यज्ञ, अनुष्ठान, शाकाहार, शोधशयन, ब्रह्ममुहूर्त जैसे जीवन मूल्यों का त्याग हो रहा है।   उन्होंने कहा कि इन सभी विधानों की पृष्ठभूमि में गूढ़ वैज्ञानिकता है, जो न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा से जीवन और वातावरण को भी समृद्ध करती है।   भागवत कथा, राम कथा, शिव कथा आदि भारतीय संस्कृति की प्रेरणादायी परंपराएं हैं, जो समाज में संस्कार, समरसता और अध्यात्म का संचार करती हैं।   स्वामी नंदाचार्य ने यह भी बताया कि वे छत्तीसगढ़ के विभिन्न अंचलों में कुल 51 स्थानों पर दिव्य सनातन शिव कथा के आयोजन हेतु संकल्पित हैं। यह आयोजन 12 मई से 19 मई तक प्रतिदिन संध्या को हो रहा है।   उन्होंने कहा कि शिव सनातन के प्रतीक हैं — शिव का अर्थ ही कल्याण है। शिव तत्व के बिना जीवन शववत् हो जाता है। सनातन के पुनर्जागरण से ही भारत को अखंड और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाया जा सकता है।   कार्यक्रम के प्रारंभ में अभियान के महामंत्री आचार्य डॉ. देवधर महंत ने अभियान की रूपरेखा और स्वामी नंदाचार्य जी का परिचय प्रस्तुत करते हुए सभी सनातन अनुयायियों से इस दिव्य शिव कथा में सहभागी बनने की अपील की।