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    *त्योहारी सीजन में सरकंडा पर निगम की सख्ती, बाकी इलाकों में खामोशी — कार्रवाई की निष्पक्षता पर उठे सवाल*

    त्योहारी सीजन में सरकंडा पर निगम की सख्ती, बाकी इलाकों में खामोशी — कार्रवाई की निष्पक्षता पर उठे सवाल

    बिलासपुर। नगर निगम द्वारा सरकंडा क्षेत्र में कबाड़ ठिकानों पर की गई कार्रवाई ने शहरभर में बहस छेड़ दी है। लोगों का कहना है कि अगर अवैध कबाड़ कारोबार पर रोक लगाने का अभियान शुरू हुआ है, तो यह केवल सरकंडा तक सीमित क्यों है?

     

    शनिवार सुबह निगम की अतिक्रमण शाखा और प्रशासनिक टीम ने सरकंडा इलाके में कई कबाड़ी ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई की। कई स्थानों से कबाड़ जब्त किया गया और कुछ अस्थायी ढांचे हटाए गए। इस दौरान निगम कर्मियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठे — स्थानीय लोगों का आरोप है कि कार्रवाई में पारदर्शिता नहीं रही और कई जगह बिना पूर्व सूचना के तोड़फोड़ की गई।

    सूत्रों के अनुसार, कार्रवाई के दौरान जब्त किए गए कुछ कबाड़ को निगम कर्मचारियों ने शहर के ही अन्य कबाड़ी व्यापारियों को बेच दिया। इससे पूरे अभियान की नीयत और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

     

    कबाड़ दुकानों में काम करने वाले मजदूरों ने इसे “गरीबों की रोज़ी पर प्रहार” बताया। उनका कहना है कि दिवाली जैसे त्योहारी सीजन में यह कदम उन्हें आर्थिक संकट में डाल रहा है।

     

    स्थानीय नागरिकों ने भी निगम की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि चकरभाठा, बिल्हा, कोनी और तखतपुर मार्ग जैसे क्षेत्रों में कबाड़ कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है, मगर वहां प्रशासन अब तक नहीं पहुंचा।

     

    लोगों ने मांग की है कि निगम और जिला प्रशासन पूरे शहर में समान रूप से कार्रवाई करे और अभियान की प्रक्रिया को सार्वजनिक करे, ताकि किसी वर्ग या क्षेत्र के साथ भेदभाव की भावना न बने।

     

     

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    त्योहारी सीजन में सरकंडा पर निगम की सख्ती, बाकी इलाकों में खामोशी — कार्रवाई की निष्पक्षता पर उठे सवाल बिलासपुर। नगर निगम द्वारा सरकंडा क्षेत्र में कबाड़ ठिकानों पर की गई कार्रवाई ने शहरभर में बहस छेड़ दी है। लोगों का कहना है कि अगर अवैध कबाड़ कारोबार पर रोक लगाने का अभियान शुरू हुआ है, तो यह केवल सरकंडा तक सीमित क्यों है?   शनिवार सुबह निगम की अतिक्रमण शाखा और प्रशासनिक टीम ने सरकंडा इलाके में कई कबाड़ी ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई की। कई स्थानों से कबाड़ जब्त किया गया और कुछ अस्थायी ढांचे हटाए गए। इस दौरान निगम कर्मियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठे — स्थानीय लोगों का आरोप है कि कार्रवाई में पारदर्शिता नहीं रही और कई जगह बिना पूर्व सूचना के तोड़फोड़ की गई। सूत्रों के अनुसार, कार्रवाई के दौरान जब्त किए गए कुछ कबाड़ को निगम कर्मचारियों ने शहर के ही अन्य कबाड़ी व्यापारियों को बेच दिया। इससे पूरे अभियान की नीयत और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं।   कबाड़ दुकानों में काम करने वाले मजदूरों ने इसे “गरीबों की रोज़ी पर प्रहार” बताया। उनका कहना है कि दिवाली जैसे त्योहारी सीजन में यह कदम उन्हें आर्थिक संकट में डाल रहा है।   स्थानीय नागरिकों ने भी निगम की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि चकरभाठा, बिल्हा, कोनी और तखतपुर मार्ग जैसे क्षेत्रों में कबाड़ कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है, मगर वहां प्रशासन अब तक नहीं पहुंचा।   लोगों ने मांग की है कि निगम और जिला प्रशासन पूरे शहर में समान रूप से कार्रवाई करे और अभियान की प्रक्रिया को सार्वजनिक करे, ताकि किसी वर्ग या क्षेत्र के साथ भेदभाव की भावना न बने।