बिलासपुर.. Cgatoznews..पद्मविभूषण जगतगुरु रामानंदचार्य स्वामी रामभदरचार्य जी की असीम अनुकम्पा से कृपा से दिनांक २९ अक्टूबर २०२२ को बिलासपुर छत्तीसगढ़ के लखी राम एडिटोरियम में “माता सीता का निष्कासन नही”विषय पर राम कथा का आयोजन है
यह विषय जितना गूढ़ है जितना संवेदनशील है उतना शायद कोई अन्य विषय नही।अभी अभी देश के एक महान कवि द्वारा भी इस विषय पर कुछ मिनट का विचार प्रस्तुत किया गया जिसका आधार गुरुदेव की कृति ही थी पर उसका कटाक्ष करते हुए एक वर्तमान समय में सुर्खिया बटोर रहे संत महापुरुष ने यह चुनौती दी की कवि महोदय यह तथ्य प्रमाणित करे की माता का सीता का निष्कासन नही हुआ था और उत्तर कांड आदिकवि बाल्मिकी की रचना नही है । संत महानुभाव ने यह भी कहा कि कवि महोदय को शास्त्रों का ज्ञान नहीं है।यद्यपि गुरुदेव के तथ्यों के आधार पर ही श्री मनोज मुंतसिर ने भी श्री सीता माता का निष्कासन नही विषय पर आठ से दस मिनिट का वीडियो अपने यू ट्यूब में डाले थे।
मुझे लगा कि इसे तथ्य के साथ अवश्य प्रस्तुत करना चाहिए और यह तथ्य सामने लाना चाहिए की वास्तव के मां सीता का निष्कासन नही हुआ था।आखिर कौन सी शक्तियां थी,क्या प्रमाण है जिससे यह साबित किया जा सके ।वैसे बाल्मिकी रामायण के प्रक्षिप्त उत्तर कांड के प्रत्येक श्लोक को प्रमाणित किया जा सकता है,उसकी भाषा संरचना,श्लोको की संख्या,सर्ग की संख्या और लिखने और जोड़ने वाले के मानसिक स्तर की तुलना जब प्रारंभ छै कांड से करते है तो अपने आप सब कुछ साफ हो जाता है की उत्तर कांड प्रक्षिप्त है।यह इस एकमात्र विषय पर सम्भवतः अपने तरह का विशिष्ट प्रयास ही होगा।इससे सहमत होना आवश्यक नही है क्युकी बाबा गोस्वामी जी ने कहा ही है,,
हरि अनंत हरि कथा अनंता , कहहि सुनहि सब बहु विधि संता।
जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।
मां सीता जी का निष्कासन की बात कपोल कल्पित है।जिनके विषय को काव्य सौंदर्य का विषय बनाया गया।और जिन लोगो ने बनाया उनमें से अधिकांश का अंत समय बहुत ही बुरा गुजरा।किसी ने कुमार संभव पूरा नहीं कर पाने का अपयश अपने हाथ लिया किसी की संस्कृत महाकाव्य को पढ़ने वाला पाठक नही मिला ओर अपने आप कुंठित हो गए।
इसलिए किसी संत शिरोमणि ,ज्ञानी ,विद्वजन को इसमें कोई संदेह ना हो और कोई विशिष्ट संदेह तो अवश्य स्वामी रामभद्राचार्य जी से अपनी शंका का समाधान कर सकेंगे तथापि मेरी कथा में ही इसका पटाक्षेप करने की कोशिश की जाएगी।जिसकी अनुमति गुरुदेव जी ने मुझे दिया है यह मेरा सौभाग्य है।
यह दुख का विषय है की हम अपनी पीढ़ियों को अपने बच्चो को हिंदू धर्म के शास्त्रों से दूर रखे हुए है आगे चलकर पता नही कोई हिंदू द्रोही ऐसा न हो जाए जो गोस्वामी तुलसीकृत रचित “रामचरितमानस “में भी ऐसे अध्याय जोड़ देवे।हमने आपने देखा की कुछ वर्ष पूर्व ही मानस में लवकुश कांड जोड़ा गया था जिसे बाद में हटाया गया।यह प्रमाणित किया गया की वह लव कुश कांड गोस्वामी जी की रचना ही नही थी।ऐसे कुकृत्य समाज में होते रहते है और उसके बाद भी भगवान श्री राम जीवंत है यही इस व्यक्तित्व की खूबसूरती है।
आपसे अनुरोध है की इस कथा में अवश्य शामिल होवे।और भविष्य में इस कथा का “संस्कार चैनल”के मध्यम से विशेष प्रसारण कराने की कोशिश की जाएगी ताकि राष्ट्र इस तथ्य से अवगत हो सके।
