More

    *चुनावी लोकतंत्र पर कुठाराघात, मतदाता पहचान प्रमाण की अनिवार्यता पर भड़के कांग्रेस नेता शैलेश पांडे*

    चुनावी लोकतंत्र पर कुठाराघात, मतदाता पहचान प्रमाण की अनिवार्यता पर भड़के कांग्रेस नेता शैलेश पांडे

    बिलासपुर/पटना। बिहार में दो करोड़ से अधिक मतदाताओं से विशेष पहचान प्रमाण पत्र मांगने के चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ देशभर में विरोध तेज़ हो गया है। इस आदेश के खिलाफ कई विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट पहुँच चुके हैं। वहीं, इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक शैलेश पांडे, जो बिहार चुनाव पर्यवेक्षक भी नियुक्त हैं, ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

     

    शैलेश पांडे ने इस निर्णय को संविधान की मूल भावना “हम भारत के लोग” के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि यह आदेश लोकतांत्रिक मूल्यों का सीधा अपमान है। वर्षों से देश में रह रहे नागरिकों को अब अपनी ही नागरिकता सिद्ध करने के लिए विवश किया जा रहा है, जो अत्यंत चिंताजनक है।

     

    उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यह फैसला बिहार के गरीब, मजदूर और ग्रामीण मतदाताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। पांडे ने सवाल उठाया कि जब आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और मनरेगा कार्ड तक अमान्य कर दिए गए हैं, तो आम मतदाता आखिर कौन-सा दस्तावेज़ प्रस्तुत करे?

     

    व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि यदि माता-पिता में से किसी एक का जन्म प्रमाण पत्र भी अनिवार्य है, तो यह एक सुनियोजित साजिश प्रतीत होती है, जो लोकतंत्र को कमजोर करने की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है।

     

    पूर्व विधायक ने प्रशासनिक व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा कि बिहार में पहले से ही भ्रष्टाचार और अफसरशाही बेलगाम है, अब इस तरह के फरमान आम नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से दूर धकेलने की कोशिश है। उन्होंने चुनाव आयोग से इस असंवैधानिक आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की और चेतावनी दी कि ऐसा नहीं हुआ तो जनता सड़कों पर उतरने को मजबूर होगी।

     

    शैलेश पांडे ने कहा कि मात्र एक महीने में आठ करोड़ मतदाताओं का पुनरीक्षण कर पाना व्यावहारिक नहीं है। यह पूरी प्रक्रिया भय और भ्रम का माहौल बनाकर मतदाताओं को मतदान के अधिकार से वंचित करने की साजिश लगती है। उन्होंने NDA सरकार पर भी हमला करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही की ओर बढ़ता शासन है, जिसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।

     

    यह मुद्दा अब राष्ट्रीय राजनीतिक विमर्श का केंद्र बनता जा रहा है और आगामी चुनावों में एक बड़ा बहस का विषय बनने की संभावना है।

     

     

     

     

     

    Related Articles

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Stay Connected

    161FansLike
    0SubscribersSubscribe

    Latest Articles

    चुनावी लोकतंत्र पर कुठाराघात, मतदाता पहचान प्रमाण की अनिवार्यता पर भड़के कांग्रेस नेता शैलेश पांडे बिलासपुर/पटना। बिहार में दो करोड़ से अधिक मतदाताओं से विशेष पहचान प्रमाण पत्र मांगने के चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ देशभर में विरोध तेज़ हो गया है। इस आदेश के खिलाफ कई विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट पहुँच चुके हैं। वहीं, इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक शैलेश पांडे, जो बिहार चुनाव पर्यवेक्षक भी नियुक्त हैं, ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।   शैलेश पांडे ने इस निर्णय को संविधान की मूल भावना "हम भारत के लोग" के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि यह आदेश लोकतांत्रिक मूल्यों का सीधा अपमान है। वर्षों से देश में रह रहे नागरिकों को अब अपनी ही नागरिकता सिद्ध करने के लिए विवश किया जा रहा है, जो अत्यंत चिंताजनक है।   उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यह फैसला बिहार के गरीब, मजदूर और ग्रामीण मतदाताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। पांडे ने सवाल उठाया कि जब आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और मनरेगा कार्ड तक अमान्य कर दिए गए हैं, तो आम मतदाता आखिर कौन-सा दस्तावेज़ प्रस्तुत करे?   व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि यदि माता-पिता में से किसी एक का जन्म प्रमाण पत्र भी अनिवार्य है, तो यह एक सुनियोजित साजिश प्रतीत होती है, जो लोकतंत्र को कमजोर करने की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है।   पूर्व विधायक ने प्रशासनिक व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा कि बिहार में पहले से ही भ्रष्टाचार और अफसरशाही बेलगाम है, अब इस तरह के फरमान आम नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से दूर धकेलने की कोशिश है। उन्होंने चुनाव आयोग से इस असंवैधानिक आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की और चेतावनी दी कि ऐसा नहीं हुआ तो जनता सड़कों पर उतरने को मजबूर होगी।   शैलेश पांडे ने कहा कि मात्र एक महीने में आठ करोड़ मतदाताओं का पुनरीक्षण कर पाना व्यावहारिक नहीं है। यह पूरी प्रक्रिया भय और भ्रम का माहौल बनाकर मतदाताओं को मतदान के अधिकार से वंचित करने की साजिश लगती है। उन्होंने NDA सरकार पर भी हमला करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही की ओर बढ़ता शासन है, जिसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।   यह मुद्दा अब राष्ट्रीय राजनीतिक विमर्श का केंद्र बनता जा रहा है और आगामी चुनावों में एक बड़ा बहस का विषय बनने की संभावना है।