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    *शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय में भर्ती घोटाले का आरोप, एनएसयूआई प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने खोला मोर्चा*

    शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय में भर्ती घोटाले का आरोप, एनएसयूआई प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने खोला मोर्चा

    कुलपति को हटाने और उच्चस्तरीय जांच की मांग, भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण व नियमों की अनदेखी का गंभीर आरोप

    जगदलपुर, छत्तीसगढ़।

    बस्तर संभाग के सबसे प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थान शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर में 59 शैक्षणिक पदों पर चल रही भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने इस प्रक्रिया में भारी अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कुलपति प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव को तत्काल पद से हटाने और पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

     

    शासन को सौंपी गई विस्तृत शिकायत

    रंजेश सिंह ने 29 अप्रैल को राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति को एक विस्तृत पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी विसंगतियों की गहन जानकारी दी है। पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि विश्वविद्यालय ने न तो स्वीकृत पदों में संशोधन किया और न ही शासन से अनुमति ली, फिर भी विज्ञापन जारी कर भर्ती शुरू कर दी गई।

     

    बिना अनुमति किए गए पदों में बदलाव

    शिकायत के अनुसार व्याख्याता के चार पदों को सहायक प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक के एक पद को सह प्राध्यापक में परिवर्तित कर दिया गया, जो कि पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध है। यह भी आरोप है कि यह बदलाव शासन की स्वीकृति के बिना किया गया।

     

    आरक्षण रोस्टर और आयु सीमा नियमों की अनदेखी

    भर्ती प्रक्रिया में न तो आरक्षण रोस्टर का पालन किया गया और न ही अधिकतम आयु सीमा से संबंधित नियमों को माना गया। यह उच्च शिक्षा भर्ती नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।

     

    ‘रश्मि देवांगन’ को लाभ पहुंचाने का आरोप

    शिकायत में यह भी कहा गया है कि एक संविदा सहायक प्राध्यापक रश्मि देवांगन की पीएच.डी. पूर्ण न होने के कारण अक्टूबर 2023 में भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर दी गई थी। फरवरी 2024 में उनके पीएच.डी. प्राप्त करने के बाद प्रक्रिया को पुनः शुरू किया गया, जिससे उनके लिए नियमों में ढील दी गई हो, ऐसी शंका जताई जा रही है।

     

    स्क्रूटिनी समिति की बैठक नहीं, पात्र-अपात्र सूची में बदलाव

    आवेदनों की जांच बिना विषय विशेषज्ञों और स्क्रूटिनी समिति की बैठक के करवाई गई। पात्र और अपात्र उम्मीदवारों की सूची बार-बार बदली गई, जिससे प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं।

     

    अलाइड विषयों में भेदभाव

    विश्वविद्यालय द्वारा अलाइड विषयों की कोई स्पष्ट सूची जारी नहीं की गई, जिससे कुछ विषयों को मान्यता दी गई और कुछ को नहीं। इससे कई योग्य उम्मीदवार चयन से वंचित हो सकते हैं।

     

    रंजेश सिंह: युवाओं की आवाज, शिक्षा में पारदर्शिता के पक्षधर

    एनएसयूआई प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने यह मुद्दा उठाकर न सिर्फ विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि उच्च शिक्षा में पारदर्शिता और योग्यता आधारित चयन प्रक्रिया की आवश्यकता को उजागर किया है। युवाओं के हितों के लिए निरंतर संघर्षरत रंजेश सिंह की पहल से यह मामला अब शासन के समक्ष है और उम्मीद की जा रही है कि शीघ्र ही उचित कार्रवाई होगी।

     

    क्या कहते हैं आंकड़े?

     

    प्राध्यापक: 10 में से 10 पद रिक्त, लेकिन भर्ती की अनुमति 0।

     

    सह प्राध्यापक: 20 में से 18 पद रिक्त, भर्ती की अनुमति मात्र 19 पदों पर।

     

    सहायक प्राध्यापक: 31 में से 27 पद रिक्त, 30 पदों की अनुमति।

     

    व्याख्याता: 4 पद रिक्त, कोई स्वीकृति नहीं।

     

     

    रंजेश सिंह ने की यह मांगें

     

    संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए।

     

    शासन स्तर पर उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की जाए।

     

    विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 52 के अंतर्गत कुलपति को पद से हटाया जाए।

     

     

    निष्कर्ष:

    शिक्षा जगत में इस तरह की अनियमितताएं न केवल योग्य उम्मीदवारों का हक छीनती हैं, बल्कि संस्थानों की साख को भी प्रभावित करती हैं। रंजेश सिंह जैसे युवा नेताओं की सक्रियता से यह उम्मीद की जा सकती है कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिलेगा।

     

     

     

     

     

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    शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय में भर्ती घोटाले का आरोप, एनएसयूआई प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने खोला मोर्चा कुलपति को हटाने और उच्चस्तरीय जांच की मांग, भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण व नियमों की अनदेखी का गंभीर आरोप जगदलपुर, छत्तीसगढ़। बस्तर संभाग के सबसे प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थान शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर में 59 शैक्षणिक पदों पर चल रही भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने इस प्रक्रिया में भारी अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कुलपति प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव को तत्काल पद से हटाने और पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।   शासन को सौंपी गई विस्तृत शिकायत रंजेश सिंह ने 29 अप्रैल को राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति को एक विस्तृत पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी विसंगतियों की गहन जानकारी दी है। पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि विश्वविद्यालय ने न तो स्वीकृत पदों में संशोधन किया और न ही शासन से अनुमति ली, फिर भी विज्ञापन जारी कर भर्ती शुरू कर दी गई।   बिना अनुमति किए गए पदों में बदलाव शिकायत के अनुसार व्याख्याता के चार पदों को सहायक प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक के एक पद को सह प्राध्यापक में परिवर्तित कर दिया गया, जो कि पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध है। यह भी आरोप है कि यह बदलाव शासन की स्वीकृति के बिना किया गया।   आरक्षण रोस्टर और आयु सीमा नियमों की अनदेखी भर्ती प्रक्रिया में न तो आरक्षण रोस्टर का पालन किया गया और न ही अधिकतम आयु सीमा से संबंधित नियमों को माना गया। यह उच्च शिक्षा भर्ती नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।   'रश्मि देवांगन' को लाभ पहुंचाने का आरोप शिकायत में यह भी कहा गया है कि एक संविदा सहायक प्राध्यापक रश्मि देवांगन की पीएच.डी. पूर्ण न होने के कारण अक्टूबर 2023 में भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर दी गई थी। फरवरी 2024 में उनके पीएच.डी. प्राप्त करने के बाद प्रक्रिया को पुनः शुरू किया गया, जिससे उनके लिए नियमों में ढील दी गई हो, ऐसी शंका जताई जा रही है।   स्क्रूटिनी समिति की बैठक नहीं, पात्र-अपात्र सूची में बदलाव आवेदनों की जांच बिना विषय विशेषज्ञों और स्क्रूटिनी समिति की बैठक के करवाई गई। पात्र और अपात्र उम्मीदवारों की सूची बार-बार बदली गई, जिससे प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं।   अलाइड विषयों में भेदभाव विश्वविद्यालय द्वारा अलाइड विषयों की कोई स्पष्ट सूची जारी नहीं की गई, जिससे कुछ विषयों को मान्यता दी गई और कुछ को नहीं। इससे कई योग्य उम्मीदवार चयन से वंचित हो सकते हैं।   रंजेश सिंह: युवाओं की आवाज, शिक्षा में पारदर्शिता के पक्षधर एनएसयूआई प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने यह मुद्दा उठाकर न सिर्फ विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि उच्च शिक्षा में पारदर्शिता और योग्यता आधारित चयन प्रक्रिया की आवश्यकता को उजागर किया है। युवाओं के हितों के लिए निरंतर संघर्षरत रंजेश सिंह की पहल से यह मामला अब शासन के समक्ष है और उम्मीद की जा रही है कि शीघ्र ही उचित कार्रवाई होगी।   क्या कहते हैं आंकड़े?   प्राध्यापक: 10 में से 10 पद रिक्त, लेकिन भर्ती की अनुमति 0।   सह प्राध्यापक: 20 में से 18 पद रिक्त, भर्ती की अनुमति मात्र 19 पदों पर।   सहायक प्राध्यापक: 31 में से 27 पद रिक्त, 30 पदों की अनुमति।   व्याख्याता: 4 पद रिक्त, कोई स्वीकृति नहीं।     रंजेश सिंह ने की यह मांगें   संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए।   शासन स्तर पर उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की जाए।   विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 52 के अंतर्गत कुलपति को पद से हटाया जाए।     निष्कर्ष: शिक्षा जगत में इस तरह की अनियमितताएं न केवल योग्य उम्मीदवारों का हक छीनती हैं, बल्कि संस्थानों की साख को भी प्रभावित करती हैं। रंजेश सिंह जैसे युवा नेताओं की सक्रियता से यह उम्मीद की जा सकती है कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिलेगा।