More

    *आईजीकेवी में फूटा केवीके कर्मचारियों का आक्रोश: लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी*

    आईजीकेवी में फूटा केवीके कर्मचारियों का आक्रोश: लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी

     

    8 महीने से वेतन नहीं, सेवा शर्तों में भेदभाव का आरोप, कुलपति कक्ष का घेराव कर सौंपा 7 सूत्रीय मांगपत्र

    बिलासपुर।

    इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आईजीकेवी) के तहत संचालित कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मंगलवार को तकनीकी कर्मचारी संघ (TSA) के नेतृत्व में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किया। वर्षों से लंबित संवैधानिक और सेवा-संबंधी अधिकारों की अनदेखी से नाराज़ कर्मचारियों ने कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल को 7 सूत्रीय मांगपत्र सौंपते हुए चेतावनी दी कि यदि मांगों पर त्वरित और ठोस कार्यवाही नहीं की गई, तो वे राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करेंगे।

    🔴 प्रदर्शन के प्रमुख बिंदु:

    आईजीकेवी परिसर में पैदल मार्च और उग्र नारेबाजी

    कुलपति कार्यालय का घेराव, घंटों भूखे-प्यासे बैठे रहे कर्मचारी

    कंट्रोलर पर पक्षपात और भेदभाव के गंभीर आरोप

    8 महीने से वेतन न मिलने और जबरन कम वेतन दिए जाने की शिकायत

    “आईजीकेवी के कर्मचारी आईसीएआर के अधीन कैसे?” सवालों के घेरे में प्रशासन

    📌 7 सूत्रीय मांगें जिन पर कर्मचारी अडिग हैं:

    1. सेवा शर्तों और वेतनमान की विश्वविद्यालय समतुल्यता की बहाली

    2. NPS/OPS योजनाओं का पुनः क्रियान्वयन

    3. मेडिकल व अन्य भत्तों की पुनर्बहाली

    4. CAS और उच्च वेतनमान योजनाओं की पुनः स्थापना

    5. सेवा-निवृत्ति आयु को 65 (तकनीकी) / 62 (गैर-तकनीकी) वर्ष करना

    6. पेंशन, ग्रेच्युटी व अन्य सेवानिवृत्त लाभों की गारंटी

    7. जब तक मूलभूत समस्याओं का समाधान न हो, अस्थायी नियुक्तियों पर रोक

     

    🗣️ प्रदर्शनकारियों की प्रमुख बातें:

     

    संघ अध्यक्ष डॉ. पी.के. सांगोड़े ने कहा:

    “यह केवल वेतन या सुविधा की नहीं, हमारे संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई है। प्रशासन हमें बार-बार अनसुना कर रहा है।”

     

    उपाध्यक्ष डॉ. ईश्वरी साहू ने जोड़ा:

    “हम विश्वविद्यालय की रीढ़ हैं, फिर भी हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। यह अस्वीकार्य है।”

     

    डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने कहा:

    “जब अधिनियम में सेवा-निवृत्ति की उम्र 65 वर्ष है, तो केवीके स्टाफ को 60 में रिटायर करना अवैधानिक और भेदभावपूर्ण है।”

     

     

     

     

    ❗ कर्मचारियों का गुस्सा कंट्रोलर पर भी फूटा

     

    प्रदर्शन के दौरान कंट्रोलर उमेश अग्रवाल पर भेदभाव और मनमानी का आरोप लगाया गया। प्रदर्शनकारियों ने “कंट्रोलर हटाओ, आईजीकेवी बचाओ” के नारे लगाते हुए कहा कि कंट्रोलर राज्य सरकार से प्रतिनियुक्त होकर आए हैं, फिर भी वे लगातार केवीके स्टाफ के खिलाफ माहौल बना रहे हैं।

     

    💬 आईसीएआर बनाम आईजीकेवी की अधीनता पर उठा सवाल

     

    कर्मचारियों ने यह भी सवाल उठाया कि जब हम आईजीकेवी के अधीन कार्यरत हैं, तो हमें आईसीएआर का बताकर भ्रमित क्यों किया जा रहा है? आदेशों और नियंत्रण का पालन हम आईजीकेवी का करते हैं, फिर भी अधिकारों में भेदभाव किया जा रहा है

     

    🕰️ घंटों चली कुलपति से चर्चा, अब ‘कल’ की है डेडलाइन

     

    कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कर्मचारियों से विस्तृत चर्चा की और आश्वासन दिया कि कल तक संमत कार्यवाही पत्र सौंपा जाएगा। लेकिन संघ ने स्पष्ट किया कि यदि कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई, तो वे संविधान प्रदत्त अधिकारों के तहत कामबंद आंदोलन की शुरुआत करेंगे।

     

    🧷 प्रदर्शन में शामिल प्रमुख प्रतिनिधि:

     

    डॉ. विजय जैन, डॉ. आर. एल. शर्मा, डॉ. एस. पी. सिंह, डॉ. खूबिराम साहू, डॉ. एस. वर्मा, डॉ. सौगात ससमल, डॉ. प्रमिला जोगी, डॉ. तोषण ठाकुर, डॉ. प्रमिला रामटेके, डॉ. घनश्याम दास साहू, डॉ. अमित शुक्ला, डॉ. रंजीत मोदी सहित सैकड़ों कर्मचारी।

     

     

     

     

    📣 संघ का अंतिम संदेश:

     

    “यह केवल आगाज़ है, अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो पूरे राज्य में कामबंद आंदोलन होगा, जिसकी नैतिक, कानूनी और प्रशासनिक जिम्मेदारी विश्वविद्यालय की होगी।”

     

     

    Related Articles

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Stay Connected

    161FansLike
    0SubscribersSubscribe

    Latest Articles

    आईजीकेवी में फूटा केवीके कर्मचारियों का आक्रोश: लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी   8 महीने से वेतन नहीं, सेवा शर्तों में भेदभाव का आरोप, कुलपति कक्ष का घेराव कर सौंपा 7 सूत्रीय मांगपत्र बिलासपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आईजीकेवी) के तहत संचालित कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मंगलवार को तकनीकी कर्मचारी संघ (TSA) के नेतृत्व में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किया। वर्षों से लंबित संवैधानिक और सेवा-संबंधी अधिकारों की अनदेखी से नाराज़ कर्मचारियों ने कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल को 7 सूत्रीय मांगपत्र सौंपते हुए चेतावनी दी कि यदि मांगों पर त्वरित और ठोस कार्यवाही नहीं की गई, तो वे राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करेंगे। 🔴 प्रदर्शन के प्रमुख बिंदु: आईजीकेवी परिसर में पैदल मार्च और उग्र नारेबाजी कुलपति कार्यालय का घेराव, घंटों भूखे-प्यासे बैठे रहे कर्मचारी कंट्रोलर पर पक्षपात और भेदभाव के गंभीर आरोप 8 महीने से वेतन न मिलने और जबरन कम वेतन दिए जाने की शिकायत "आईजीकेवी के कर्मचारी आईसीएआर के अधीन कैसे?" सवालों के घेरे में प्रशासन 📌 7 सूत्रीय मांगें जिन पर कर्मचारी अडिग हैं: 1. सेवा शर्तों और वेतनमान की विश्वविद्यालय समतुल्यता की बहाली 2. NPS/OPS योजनाओं का पुनः क्रियान्वयन 3. मेडिकल व अन्य भत्तों की पुनर्बहाली 4. CAS और उच्च वेतनमान योजनाओं की पुनः स्थापना 5. सेवा-निवृत्ति आयु को 65 (तकनीकी) / 62 (गैर-तकनीकी) वर्ष करना 6. पेंशन, ग्रेच्युटी व अन्य सेवानिवृत्त लाभों की गारंटी 7. जब तक मूलभूत समस्याओं का समाधान न हो, अस्थायी नियुक्तियों पर रोक   🗣️ प्रदर्शनकारियों की प्रमुख बातें:   संघ अध्यक्ष डॉ. पी.के. सांगोड़े ने कहा: "यह केवल वेतन या सुविधा की नहीं, हमारे संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई है। प्रशासन हमें बार-बार अनसुना कर रहा है।"   उपाध्यक्ष डॉ. ईश्वरी साहू ने जोड़ा: "हम विश्वविद्यालय की रीढ़ हैं, फिर भी हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। यह अस्वीकार्य है।"   डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने कहा: "जब अधिनियम में सेवा-निवृत्ति की उम्र 65 वर्ष है, तो केवीके स्टाफ को 60 में रिटायर करना अवैधानिक और भेदभावपूर्ण है।"         ❗ कर्मचारियों का गुस्सा कंट्रोलर पर भी फूटा   प्रदर्शन के दौरान कंट्रोलर उमेश अग्रवाल पर भेदभाव और मनमानी का आरोप लगाया गया। प्रदर्शनकारियों ने “कंट्रोलर हटाओ, आईजीकेवी बचाओ” के नारे लगाते हुए कहा कि कंट्रोलर राज्य सरकार से प्रतिनियुक्त होकर आए हैं, फिर भी वे लगातार केवीके स्टाफ के खिलाफ माहौल बना रहे हैं।   💬 आईसीएआर बनाम आईजीकेवी की अधीनता पर उठा सवाल   कर्मचारियों ने यह भी सवाल उठाया कि जब हम आईजीकेवी के अधीन कार्यरत हैं, तो हमें आईसीएआर का बताकर भ्रमित क्यों किया जा रहा है? आदेशों और नियंत्रण का पालन हम आईजीकेवी का करते हैं, फिर भी अधिकारों में भेदभाव किया जा रहा है   🕰️ घंटों चली कुलपति से चर्चा, अब 'कल' की है डेडलाइन   कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कर्मचारियों से विस्तृत चर्चा की और आश्वासन दिया कि कल तक संमत कार्यवाही पत्र सौंपा जाएगा। लेकिन संघ ने स्पष्ट किया कि यदि कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई, तो वे संविधान प्रदत्त अधिकारों के तहत कामबंद आंदोलन की शुरुआत करेंगे।   🧷 प्रदर्शन में शामिल प्रमुख प्रतिनिधि:   डॉ. विजय जैन, डॉ. आर. एल. शर्मा, डॉ. एस. पी. सिंह, डॉ. खूबिराम साहू, डॉ. एस. वर्मा, डॉ. सौगात ससमल, डॉ. प्रमिला जोगी, डॉ. तोषण ठाकुर, डॉ. प्रमिला रामटेके, डॉ. घनश्याम दास साहू, डॉ. अमित शुक्ला, डॉ. रंजीत मोदी सहित सैकड़ों कर्मचारी।         📣 संघ का अंतिम संदेश:   "यह केवल आगाज़ है, अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो पूरे राज्य में कामबंद आंदोलन होगा, जिसकी नैतिक, कानूनी और प्रशासनिक जिम्मेदारी विश्वविद्यालय की होगी।"